एशिया के सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में भारत पहले स्थान पर
इस रिपोर्ट के अनुसार एशिया में सबसे अधिक भ्रष्टाचार भारत में है साथ ही पिछले 12 महीनों में भारत के 39 प्रतिशत लोगों ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने किसी न किसी रूप में रिश्वत दी हैं।

Global Corruption Barometer की रिपोर्ट के अनुसार भारत एशिया का सबसे भ्रष्ट देश है। दूसरे तथा तीसरे स्थान पर क्रमशः कंबोडिया(37 प्रतिशत) इंडोनेशिया (30 प्रतिशत) है।

एशिया महाद्वीप विश्व के सात महाद्वीपों मे सबसे बड़ा है तथा एशिया के 49 देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य है। ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल ने एशिया के सिर्फ 17 देशों को अपनी इस रिपोर्ट मे नामांकित किया है। जिनमें 15 देश मुख्य हैं। इन 17 देशों मे से महज 20 हजार लोगों से भ्रष्टाचार के संबंध में उनके अनुभव के बारे में प्रश्न पूछे गए है।

इस रिपोर्ट की सबसे खास बात यह है की उन्होंने इसमे पाकिस्तान का डाटा प्रदर्शित नहीं किया है जो की अपने आप में एक भ्रष्ट देश है साथ ही इस रिपोर्ट में चीन और इंडिया के बीच में भ्रष्टाचार को लेकर काफी अंतराल दिखाया गया है जबकि एक साल पहले 2019 की रिपोर्ट में इंडिया और चीन दोनों की रैंक 80 थी जबकि डेनमार्क और न्यूजीलेंड सबसे काम भ्रष्ट देश थे।
इस रिपोर्ट में यह बात बताई गई है की भारत मे सब से ज्यादा लोग रिश्वत अपने पहचान संबंधी दस्तावेजों ( identity documents) को बनवाने के लिए तथा पुलिस को रिश्वत दी है। जबकि न्याय व्यवस्था मे भी 32 प्रतिशत लोगों ने रिश्वत दी है जो काफी चिंताजनक है। जबकि जापान में पहचान संबंधी दस्तावेजों को बनवाने में 0 प्रतिशत करप्शन है तथा पुलिस संबंधित करप्शन महज 2 प्रतिशत है तथा चीन मे क्रमशः 18 प्रतिशत तथा 23 प्रतिशत है।

इस रिपोर्ट के अनुसार जब लोगों से उनकी वर्तमान सरकार के बारे में पूछा गया की क्या उनकी सरकार करप्शन को कम करने में अच्छा काम कर रही है तो भारत में 63 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है जब कि जापान मे 76 प्रतिशत लोगों का कहना है कि सरकार करप्शन को काम करने मे अच्छा काम नहीं कर रही है।
क्यूँ देनी पड़ती है लोगों को रिश्वत
भारत में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए काफी कानून बनाए गए है जैसे की RTI Act 2005, whistle blower Act 2014, Benami properties prohibition act 2016 पर जमीनी स्तर पर कुछ खास सुधार नहीं हुआ है इसका सबसे बड़ा कारण हो सकता है की भारत मे अभी दस्तावेज बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल नहीं हुई है सरकारी विभागों मे अभी भी डिजिटलीकरण सही से सही से नहीं हुआ है साथ ही यह प्रक्रिया अधिक समय लेने वाली होती है लोग अपना कार्य जल्दी करवाने के लिए भी रिश्वत देते है।
साथ ही सरकारी विभागों मे अधिकतर कर्मचारी ग्रुप C तथा ग्रुप D श्रेणी वाले होते है जिनकी मासिक आय अपेक्षाकृत कम होती है जिससे ये लोग रिश्वत को अन्य आय का साधन बना लेते हैं। इसमें कानून व्यवस्था भी जिम्मेदार है क्यों कि बहुत से लोगों ने यह भी स्वीकार किया है कि उन्होंने न्यायालयों में भी रिश्वत दी है।
निष्कर्ष
भारत में करप्शन की समस्या को गंभीरता से लेना होगा तथा न्यायालयों को विशेष रूप से भ्रष्टाचार से बचाना होगा। यदि कोई व्यक्ति रिश्वत लेता हुआ पकड़ा जाए तो उस पर सख्त कार्रवाही की जानी चाहिए और उसकी सजा जल्दी ही सुनिश्चित की जानी चाहिए ।
ट्रांसपेरेंसी इन्टरनेशनल क्या है ?
ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) एक अन्तरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था है जो भ्रष्टाचार के निवारण आदि पर अपना ध्यान केन्द्रित करती है। यह संस्था 1992 से कार्यरत है। यह संस्था हर वर्ष एक रिपोर्ट निकालती है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति का मूल्यांकन होता है। ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल का अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय जर्मनी की राजधानी बर्लिन में है।