जाने क्यूं बसपा का चुनाव चिन्ह हाथी नहीं है इस राज्य में।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का चुनाव चिन्ह पूरे देश में हाथी है लेकिन असम एक ऐसा राज्य है जहां चिन्ह हाथी किसी और के पास है, जाने ऐसा क्यूँ है।
बहुजन समाज पार्टी जिसका चुनाव चिन्ह हाथी है। पूरे देश में हाथी के निशान(चुनाव चिन्ह) पर चुनाव लड़ती है। एक राष्ट्रीय पार्टी पूरे देश में कहीं से चुनाव लड़ सकती है। लेकिन बीएसपी के साथ भारत के उत्तर पूर्वी राज्य असम में हाथी के निशान पर एक तकनीकी बाधा है। समझते है की क्या।

भारत निर्वाचन आयोग(ECI) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वर्तमान में देश में सात राष्ट्रीय राजनीतिक दल बीएसपी, भारतीय जनता पार्टी, काग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, एनसीपी,तृणमूल काग्रेस, और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) हैं। जैसे की पहले बताया गया है, एक राष्ट्रीय पार्टी पूरे देश में कहीं से भी चुनाव लड़ सकती है।
बसपा और हाथी का साथ।
पूरे देश में बीएसपी का साथ हाथी साथ देता है, लेकिन असम में नहीं। अगर बसपा यहां से चुनाव लड़ती है तो उसको ECI के द्वारा सुझाए गए चुनाव चिन्ह में से किसी एक को चुन-ना पड़ता है।
आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वर्तमान में देश में सात राष्ट्रीय राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी, काग्रेस, एनसीपी, बीएसपी, तृणमूल काग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) हैं। राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते बसपा को देश के किसी भी राज्य में चुनाव लड़ने का अधिकार है। हालांकि बसपा की मुसीबत असम में बढ़ जाती है। इसे असम में हाथी चुनाव चिह्न नहीं मिल सकता। आयोग ने बताया है कि बसपा को असम में हाथी की जगह आयोग के सुझाए चिह्नों में किसी एक को चुनना होता है।
बहुत कोशिशों के बावजूद भी असम मे हाथी की सवारी नहीं कर पाएगी। ये समस्या कोई कद-बूते की नहीं बल्कि एक तकनीकी बाधा की है। असम की क्षेत्रीय पार्टी असम गण परिषद पहले से ही वहां पर हाथी की सवारी कर रही है। चुनाव आयोग से उसे यही सिंबल मिला है।

दरअसल ये चुनाव चिन्ह ना मिलने का कारण एक आदेश है, जो है The Election Symbols (Reservation and Allotment) Order, 1968 यानि (चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968) । इस नियम की धारा 6 (बी) के अनुसार किसी दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तब दिया जाता है जब उस पार्टी ने लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या चार से अधिक राज्यों में चुनाव लड़ते हुए हर राज्य में कुल वैध मतदान का छह फीसद या इससे अधिक वोट पाया हो। साथ में कम से कम चार प्रत्याशी लोकसभा के लिए चुने गए हों। राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए दूसरी शर्त यह है कि संबंधित दल ने चुनाव में लोकसभा की कुल सीटों में से दो प्रतिशत सीट जीती हो। साथ ही उसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से चुनकर आए हों। तीसरी शर्त के अनुसार पार्टी के पास कम से कम चार राज्यों में स्टेट पार्टी का दर्जा होना चाहिए। इन तीनों में से किसी भी एक शर्त को पूरा करने पर भारत निर्वाचन आयोग उक्त दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे देता है।
ECI ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल काग्रेस को सितंबर 2016 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया। TMC ने पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में स्टेट पार्टी का दर्जा पाया था।